This Picture is Really Amazing

 ये तस्वीर ऐतिहासिक है..

इस तस्वीर को आने वाली पीढ़ियां सम्भाल कर रखे इसे भूले नही..

ये भारत की असल तस्वीर है..

अगर आप फुरसत में कभी सोचते हो कि भारत मे वैज्ञानिक सोच क्यों नही पनपी ..?

यहां के लोगो में विज्ञान के प्रति उदासीनता क्यों है.?

 तो उसका कारण आप इस तस्वीर में देख ले..आपको जवाब मिल जाएगा ..

भारत बूढ़ा देश है..

ना जाने कब से ये बूढ़ा हो चुका 

ये इसको भी नही पता..

भारत का नौजवान भी बूढ़ा है..

शरीर से न सही पर मन विचार व सोच से ये बूढ़ा ही है..

ये भारत के पतन की कहानी बयां करने को काफी है..

बूढ़ा इस मायने में कि ये पीछे की ओर देखता है..भविष्य की ओर नही

ये राम राज्य लाने की बात करता है

 कोई पूछे इनसे कि

राम राज्य अगर इतना ही अच्छा होता 

तो कभी जाता ही क्यों...?

लेकिन राम राज्य गया न सिर्फ रामराज गया बल्कि राज्य भी गया और गुलाम भी बने..

क्या हमने कभी सोचा कि ऐसा क्यों कर हुआ..?

हम कह देंगे यही भाग्य में बदा था..

बस चर्चा खत्म.. The End

भारत नौकर बनने को उत्सुक है

मालिक बनने को नही..

मालिक बनने की योग्यता रखता है या नही

ये इसे भी नही पता..

जैसे इसके लक्षण है..

और ये सोचता भी नही..

इसलिए ये इसके पात्र नही है..

इनकी कुल जमा पूंजी है कि अच्छी सी पढ़ाई कर ले और फिर अच्छी सी नौकरी मिल जाये..बस..

जीवन सफल है..

ये तस्वीर बतला रही है कि हम कहाँ खड़े है..

और कहाँ लेटे है..? हमारी सोच कहाँ अटकी है..?

जापान के बच्चे 70 के दशक में डोरेमोन से नए नए गैजेट्स सीखते है..और हमारे बच्चे छोटा भीम देखते है जहाँ अभी भी  महलों में राजा रानी और झोंपड़े में किसान बसता है..

70 के दशक में बना डोरीमोन वीडियो कांफ्रेंसिग करता है ..ड्रोन उड़ाता है..

मोबाइल फोन से बात करता है

और हमारे बच्चे 2020 में बस उसे देखते है..

हम जादू की कहानियो को देखते है तो विज्ञान को भी जादू मान लेते है..

हमारे बच्चे अतीत में जीते है और उनके बच्चे भविष्य में..

जहां देश का प्रधानमंत्री एक मंदिर के सामने लेटा हुआ हो वहां लीक से हटकर नया सोचना भी पाप लगता है..जघन्य अपराध लगता है...

क्या सोचेंगे आज के बच्चे PM को लेटा हुआ देख कर..?  

कि 130 करोड़ भारतीयों का PM  मंदिर में लेटा हुआ है 

हो न हो मन्दिर में आस्था रखने से कुछ न कुछ अच्छा ज़रूर होता होगा..

यही हमारे मां बाप समझते रहे 

(जब भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के मुहूर्त पर ब्राह्मणों के पैर धो रहे थे..)

यही हम..

और यही हमारे बच्चे समझेंगे..

रात दिन धर्म का इतना धुंआधार प्रचार  ..ईश्वर की चर्चा

तो क्यों कोई खोज करे..?

जब स्वयं ईश्वर ही हमारे साथ है..

Villagers not Always Wrong | Dahariyapur Village Bidhuna

हमारा गढ़ा हुआ ईश्वर हमे कुदरती रहस्यों को जानने में बाधक बनता रहा है..,हमारी आस्थाओ ने हमे निकम्मा बना डाला है.. और सोचने समझने की ताकत को लुंज पुंज..इसलिए हम दूसरो पर आश्रित है .. फोन से लेकर लड़ाकू जहाज तक हम बाहर से मंगवाते है ..और खरीद कर गदगद होते है..

हम ग्राहक है  और वो दुकानदार 

हम मजदूरी कर पैसा कमाते है और दूसरो का सामान खरीदते है.. 

वो नयी नयी चीज़े बना बना कर और अधिक अमीर होते जाते है

और हम वही मजदूर के मजदूर..लेबर क्लास तबका..

हम भगवान के सामने भी दास बन कर लेटे है और बाहर वालो के सामने भी..

दास बनना हमारी नियति है..

और हम इसी में खुश है. 

सदियो से गा गाकर लहालोट है कि प्रभु जी हम दास तिहारे..

ये तस्वीर सचमुच अद्धभुत है..

ऐतिहासिक है..!

Dahariyapur village bidhuna


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